बुढ़वा पुजारी जी ने शंख बजाया उसकी आवाज दूर दूसरे मोहल्ले तक आवाज पहुंच रही थी। अभी दिन चढ़ आया
था सभी लोग अपने अपने कामों मे लगे थे अचानक शंख की आवाज सुनकर चौके। उन्हे याद नही था आज तक
ऐसा कभी हुआ हो। अक्सर भोर मे ही पुजारी जगते और पूजापाठ करते हुए अन्य लोगो को जगाते थे।
कितने घरों मे झाड़ू साफ सफाई तभी शुरू होती थी। सुबह कुएं के चबूतरे से पीपल वाले चबूतरे तक लोग बैठ जाते थे सब बड़े अदब़ से उनकी बातों को सुनते। वह धर्म और पुराणों आदि की ऐसी ऐसी कहानियां सुनाते जिसे सुनकर लोग अचंभित हो जाते थे परन्तु ज्ञानवर्धन भी खूब होता था।
पुजारी की आयु 100 वर्षों से ज्यादा हो चली थी शाम की कीर्तन मंडली वाले गोसाई उन्हे छेड़ते हुए 'कागभुशुंडि'
कहते थे। पुजारी का कोई सगा संबंधी नही था बस रघुनाथ जी को और गांव वालों को अपना मानते थे।
गांव के प्रत्येक शादी ब्याह तीज त्यौहार मे जरूर जाते थे लोग भी उनका खूब सम्मान करते ।
आज शंख की आवाज सुनकर जैसे कुछ लोग वहां पहुंचे तो देखा पुजारी घुटने मे सिर लगाये बैठे हैं।
साधू बढ़ई आगे बढ़कर पूछ पड़े बाबा आज इस बेला मे शंख क्यों फूंक रहे हो?
बाबा सठिया गये हैं, उम्र के असर से माथा फिरने लगा होगा है (समीप खड़ी औरतें सिर पर पल्लू रखे कानाफूसी करने लगी)
विचारमग्न पुजारी ने विवश नजरों से उनकी तरफ देखा धीरे से बोले "सभी को बुलाओ"
इतना कह कर बाबा ने फिर से सिर घुटनों के बीच रख लिया था
पीड़ा उनकी आंखो मे दिख रही थी लेकिन यह अजीब सी थी। किसी अंजान दर्द की। कुछ समझ मे न आता देख
साधू ने वहां खड़े सभी लोगों को तुरंत गांव के अन्य लोगों को बुलाने भेज दिया।
उनको अपने बचपन का थोड़ा बहुत याद था कैसे इस पुजारी के गुरू बड़े पुजारी ने समाधि ली थी।
पूरा गांव रोया था जैसे सभी के सिर पर से अभिभावक का हाथ चला गया हो पर जल्दी ही नये पुजारी ने संभाल
लिया था।
- यह भी पढ़े महात्म्य
अमीर गरीब सबके सुख दुख मे शामिल रहते थे। समझाते इलाज बताते और संभालते भी थे कभी कभी तो गरिया भी देते थे। पर जो कुछ हो अपने घर के बड़े बुजुर्ग की तरह रहते थे।
थोड़ी देर मे लगभग सभी जुट गये थे कुछ लोगो को संदेश दिया गया पर वो या तो रास्ते मे थे या फिर वो देर से पहुंचते।
पीपल वाले चबूतरे पर बाबा का आसन लगा और सभी लोग उन्हे घेर कर बैठे। दर्द से बाबा की आवाज धीमी हो गई थी।
फिर भी उन्होने बोलना शुरू किया देखो बच्चो इस गांव मे एक विपदा आने वाली हैं इंसान को जान बचाना भारी
रहेगा।सूरज के घर की तरफ से आयेगा निशाचर, वह छिपा रहेगा और हवा मे जहर घोल देगा उससे ही फैलेगी ये
बीमारी । सब असहाय रहेंगे कोई चाहे भी तो कुछ नही कर सकता करोड़ो लोगों की जान जायेंगी।
अब तो परमात्मा का ही सहारा है वही रास्ता दिखायेगा। सड़के सुनसान रहेंगी लोग घरों मे बंद रहेंगे जैसे पिंजरे मे
जानवर रहते हैं।
बाबा कुछ समय बाद ही बाबा की साँसे थम गयी और उनके प्राण अनंत यात्रा को चल पड़े गाँव के सभी औरत मर्द
बच्चे रोने लगे
समय बीतता गया और इस घटना को कई वर्ष बीत गए थे अचानक सरकारी आदेश आया एक बड़ी भयानक
बीमारी फैली है और लोग अपने अपने घरो में बंद रहे कोई भी बाहर नहीं दिखना चाहिए
इसके साथ ही बाबा की वो भविष्यवाणी भी सच हुयी अनगिनत मौते हुयी थी उस संक्रामक बीमारी से.........
शाशिवेंद्र "शशि"
#Ssps96