शनिवार, 25 मार्च 2023

भविष्यवाणी का सच

बुढ़वा पुजारी जी ने शंख बजाया उसकी आवाज दूर दूसरे मोहल्ले तक आवाज पहुंच रही थी। अभी दिन चढ़ आया

था सभी लोग अपने अपने कामों मे लगे थे अचानक शंख की आवाज सुनकर चौके। उन्हे याद नही था आज तक

 ऐसा कभी हुआ हो। अक्सर भोर मे ही पुजारी जगते और पूजापाठ करते हुए अन्य लोगो को जगाते थे।


     बूढ़े पुजारी  शंख बजाते हुए

कितने घरों मे झाड़ू साफ सफाई तभी शुरू होती थी। सुबह कुएं के चबूतरे से पीपल वाले चबूतरे तक लोग बैठ जाते थे सब बड़े अदब़ से उनकी बातों को सुनते। वह धर्म और पुराणों आदि की ऐसी ऐसी कहानियां सुनाते जिसे सुनकर लोग अचंभित हो जाते थे परन्तु ज्ञानवर्धन भी खूब होता था।

आडियो फाइल 🔊 🔈

पुजारी की आयु 100 वर्षों से ज्यादा हो चली थी शाम की कीर्तन मंडली वाले गोसाई उन्हे छेड़ते हुए 'कागभुशुंडि'

कहते थे। पुजारी का कोई सगा संबंधी नही था बस रघुनाथ जी को और गांव वालों को अपना मानते थे।

गांव के प्रत्येक शादी ब्याह तीज त्यौहार मे जरूर जाते थे लोग भी उनका खूब सम्मान करते । 



आज शंख की आवाज सुनकर जैसे कुछ लोग वहां पहुंचे तो देखा पुजारी घुटने मे सिर लगाये बैठे हैं।

साधू बढ़ई आगे बढ़कर पूछ पड़े बाबा आज इस बेला मे शंख क्यों फूंक रहे हो?

बाबा सठिया गये हैं, उम्र के असर से माथा फिरने लगा होगा है (समीप खड़ी औरतें सिर पर पल्लू रखे कानाफूसी करने लगी)


                 बूढ़े पुजारी लोगो को समझाते हुए 

विचारमग्न पुजारी ने विवश नजरों से उनकी तरफ देखा धीरे से बोले "सभी को बुलाओ"

इतना कह कर बाबा ने फिर से सिर घुटनों के बीच रख लिया था

पीड़ा उनकी आंखो मे दिख रही थी लेकिन यह अजीब सी थी। किसी अंजान दर्द की। कुछ समझ मे न आता देख

साधू ने वहां खड़े सभी लोगों को तुरंत गांव के अन्य लोगों को बुलाने भेज दिया।

उनको अपने बचपन का थोड़ा बहुत याद था कैसे इस पुजारी के गुरू बड़े पुजारी ने समाधि ली थी।

पूरा गांव रोया था जैसे सभी के सिर पर से अभिभावक का हाथ चला गया हो पर जल्दी ही नये पुजारी ने संभाल 

लिया था।

अमीर गरीब सबके सुख दुख मे शामिल रहते थे। समझाते इलाज बताते और संभालते भी थे कभी कभी तो गरिया भी देते थे। पर जो कुछ हो अपने घर के बड़े बुजुर्ग की तरह रहते थे।

थोड़ी देर मे लगभग सभी जुट गये थे कुछ लोगो को संदेश दिया गया पर वो या तो रास्ते मे थे या फिर वो देर से पहुंचते।

पीपल वाले चबूतरे पर बाबा का आसन लगा और सभी लोग उन्हे घेर कर बैठे। दर्द से बाबा की आवाज धीमी हो गई थी।

फिर भी उन्होने बोलना शुरू किया देखो बच्चो इस गांव मे एक विपदा आने वाली हैं इंसान को जान बचाना भारी 

रहेगा।सूरज के घर की तरफ से आयेगा निशाचर, वह छिपा रहेगा और हवा मे जहर घोल देगा उससे ही फैलेगी ये 

बीमारी । सब असहाय रहेंगे कोई चाहे भी तो कुछ नही कर सकता करोड़ो लोगों की जान जायेंगी।

अब तो परमात्मा का ही सहारा है वही रास्ता दिखायेगा। सड़के सुनसान रहेंगी लोग घरों मे बंद रहेंगे जैसे पिंजरे मे 

जानवर रहते हैं।

बाबा कुछ समय बाद ही बाबा की साँसे थम गयी और उनके प्राण अनंत यात्रा को चल पड़े गाँव के सभी औरत मर्द 

बच्चे रोने लगे 


                  पुजारी के मृत्यु पर पधारे साधू

समय बीतता गया और इस घटना को कई वर्ष बीत गए थे अचानक सरकारी आदेश आया एक बड़ी भयानक 

बीमारी फैली है और लोग अपने अपने घरो में बंद रहे कोई भी बाहर नहीं दिखना चाहिए 

इसके साथ ही बाबा की वो भविष्यवाणी भी सच हुयी अनगिनत मौते हुयी थी उस संक्रामक बीमारी से.........


शाशिवेंद्र "शशि" 

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शिखंडी का भ्रम


रविवार, 12 मार्च 2023

सप्तर्षि:- पौराणिक या आधुनिक पर निस्संदेह कल्याणकारी


इस वर्ष बजट प्रस्तुत करते समय वित्तमंत्री ने जन कल्याण के लिए सरकार की सात प्राथमिकताओं को सप्तर्षि के तौर पर बताया।

आइये इसके पौराणिक एवं कल्याणकारी महत्व को समझते हैं

पौराणिक मान्यता:-

अनंत काल से आकाश मे एक विशेष आकृति के तौर पर चमकते इन सात तारों को सप्तर्षि की

संज्ञा दी गई हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह सात ऋषि ब्रहां जी की संतान हैं एवं

कलयुग के अंत मे प्रलय के बाद के काल मे यह धरती पर आते हैं। ब्रह्मा जी के आदेशानुसार

पुनः यहां धर्म और जीवन का शुभारंभ कराते हैं। इन्हें सांसारिक बंधनों एवं भौतिक तत्वों से मुक्त

माना जाता हैं।

विज्ञान इन्हें (उरसा मेजर) कहता है जबकि सनातन साहित्य मे यह सात महान ऋषि माने जाते हैं


1-अत्रि:- सनातन धर्म मे वर्णित देवी अनुसूया के पति एवं भगवान दत्तात्रेय के पिता हैं। आपके

सम्मान मे ऋग्वेद के पांचवे मंडल को अत्रि मंडल भी कहते हैं।



2- भारद्वाज:- इन्हे देवगुरु बृहस्पति का यशस्वी पुत्र एवं द्रोणाचार्य के गुरू भी माना जाता है।

प्रयागराज से संबंधित भारद्वाज आश्रम मे प्रभु श्रीराम का आगमन रामायण मे वर्णित हैं।

 

3-गौतम:- रामायण मे ही चर्चित ऋषि गौतम जिन्होने अपनी भार्या अहिल्या को पाषाण होने का

श्राप दिया था। रामायण मे इनकी चर्चा भी है। गोदावरी नदी की उत्पत्ति का श्रेय गौतम ऋषि को

ही जाता है



 

4- जमदग्नि:- महर्षि भृगु के वंशज एवं प्रतापी भगवान परशुराम के पिता हैं। कामधेनु गाय के

लिए सहस्रार्जुन ने इनकी हत्या कर दी थी। परशुराम जी ने फिर उसका वध किया था।

 

5-कश्यप:- देव और असुर के जनक माने जाते हैं। आधुनिक काश्मीर को इनके ही नाम कश्यप

मीर अर्थात 'ऋषि कश्यप की झील' के नाम से जाना जाता हैं।

 

6- वशिष्ठ:- ब्रहां जी के मानस पुत्र हैं। यह भगवान राम और सूर्यवंशी राजकुल के कुलगुरू भी

माने जाते हैं।देवी अरूंधती इनकी भार्या थीं तथा इन्होने योग वशिष्ठ तथा वशिष्ठ संहिता तैयार की

थी।

7- विश्वामित्र:- एक प्रतापी क्षत्रिय राजा वशिष्ठ की नंदिनी गाय के आकर्षण मे टकराव तक जाते

है तथा राज पाठ छोड़कर संन्यासी बनते है। अंततः अपने तपबल से उच्च पद प्राप्त करते हैं।

राजा हरिश्चंद्र की परीक्षा लेना और त्रिशंकु का कल्याण यही करते है। उर्वशी से उत्पन्न कन्या का

नाम शकुन्तला नामक पुत्री पैदा होती है जिससे आगे चलकर भरत पैदा होते है जिससे हमारे

देश का नाम भारत पड़ा है।

सप्तर्षि एवं ध्रुव (Pole Star):-

एक जनश्रुति के अनुसार प्रति रात्रि मे इन सप्तर्षियों की यात्रा आरंभ होती है और ऐसा माना जाता है कि यह ध्रुव तक पहुंचना चाहते हैं।



 

लेकिन ध्रुव का पद प्राप्त करने से पहले ही भगवान भास्कर के तेजस्वी सारथी अरूण अपनी पहली किरण उषा के साथ दिनारंभ का संकेत देते है और इसी के साथ इन सप्तर्षियों की रात्रि साधना की अपूर्ण यात्रा समाप्त हो जाती हैं।

इस तरह यह पूरे वर्ष भर मे ध्रुव के चारो तरफ एक परिभ्रमण भी पूरा कर लेते हैं एवं इनकी स्थिति से ऋतुओं का अनुमान भी लगाया जाता था।



   अनवरत् चलती आ रही यह यात्रा जैसे भगवान सूर्य की दिवस यात्रा नियमतः चलती रहती है ठीक वैसे ही रजनी के समानांतर यह मौन यात्रा भी चलती रहती है।

इस मान्यता मे बताया जाता है जिस दिन सप्तर्षियों की यह यात्रा पूर्ण हो जायेगी उस दिन परमात्मा के द्वारा सृष्टि के पूर्णत्व के बारे मे काल का एक कठोर निर्णय होगा शायद वही प्रलय का समय होगा।


 कुछ प्रश्न 

1- क्या हिन्दु मान्यता के अनुसार सप्तर्षियों का स्थान अपरिवर्तनशील है?

उत्तर:-


2- दत्तात्रेय के माता-पिता का नाम क्या है?

उत्तर:- 


3- ऋषि पंचमी किसकी आराधना का पर्व है ?

उत्तर:-


4- सप्तर्षियों के गुरू का क्या नाम हैं?

उत्तर:-


5- सप्तर्षि तारा समूह का वैज्ञानिक नाम क्या है ?

उत्तर:-


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सोमवार, 6 मार्च 2023

अतीत:- विछोह का पश्चाताप #hindipoetry


पलट कर बोल भी तो सकता था मै

पर चुप रहकर मान लेना बेहतर था

हाल-ए-दिल खोल भी सकता था मैं

पर मौन होकर आंसू पीना बेहतर था।।01



उन्हे अंदाजा था मेरे शर्माने पन का

जिससे वो थोड़ी घबरायी सी रहती थी

कहते कहते कभी रूकती फिर कहती 

डरी थी सहमी सी कहती फिर डरती थी।।02

इक सफ़र:- जिसमे किधर गया हूं मैं


सच तो उनका वह डर हुआ ही आखिर

बनते बनते सब बिखर ही गया आखिर

रहा शेष ही क्या उस कारवां मे आखिर

चिता मे शेष बची रही राख हो आखिर।।03


कमबख्त इस डर ने ही बिगाड़ा काम सारा 

इसने ही रूसवां कराया था नाम हमारा

जितना ही इससे बचते थे उतना ये डराता

नामुराद गाहे बगाहे खुद ही चला आता।।04



कांपते हाथों से इकबार थाम लिया मैने

रोका उनने भी नही था नजरें नीचे कर के

पसीने की बूंदे हिलते होठ पर आवाज नही

सुख मधुर संगीत का और कोई साज नही।।05

बुलेट मेरी


बंद आंखे आज भी उस सुख को देखती हैं

जिन आंखो को समझने का हुनर था अपना

धडल्ले निकलते है अब उस गली से कूंचे से

कभी जिनकी महक से था वास्ता अपना।।06


ये जिन्दगी गुजरती ट्रेन के बाद का स्टेशन

कोई और अब इंतजार करता नही मिलता

कांच का ही बना होगा इंसानी दिल शायद

जख्म-ए-दिल को कोई रफूगर नही सिलता।।07



:- SHASHIVENDRA SHASHI
         शशिवेंद्र "शशि"

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रविवार, 5 मार्च 2023

होली:- क्यो करते है होली में अलग अलग रंगो का प्रयोग

क्यो करते है होली में अलग अलग रंगो का प्रयोग


वैसे तो होली में उल्लास और उत्साह  का रंग मुख्य होता है पर क्या आप जानते हैं होली के प्रत्येक रंग का अपना 

एक अलग महत्व है । आइये आगे जानते हैं होली के प्रमुख रंगो के प्रयोग के पीछे क्या कारण हैं



प्रमुखतः प्रत्येक रंग का अपना अलग एक भाव है इनके प्रयोग के साथ एक संदेश दिया गया हैं



लाल रंग:- प्यार और सौन्दर्य का प्रतीक है, इसके साथ ही यह सुहाग एवं संपन्नता को भी दर्शाता है।

लाल रंग की बिन्दी सुहाग एवं वैवाहिक सम्पन्नता को दर्शाता हैं।

लाल रंग उल्लास और स्नेह का भाव बढ़ाता है



पीला रंग:- हल्दी से हम सभी भली भांति परिचित हैं इसका पीला रंग प्रत्येक घर के लिए विशेष है। यह शुभ 

कार्यो मे प्रयोग होता है इसके साथ ही इसका औषधीय गुण इसे प्रमुखता के साथ प्राकृतिक एवं घरेलु चिकित्सा मे 

इसका स्थान बनाता हैं।

पीला रंग स्वास्थ्य के प्रति सजगता और सतर्कता के भाव से प्रयुक्त होता है



अतः पीला रंग स्वास्थ्य और खुशहाली का द्योतक है।


नीला रंग:- नीलवर्ण भगवान विष्णु का प्रतीक है। यह श्रीकृष्ण के नीलवर्ण से संबंधित है। इसमें एक राक्षस 

द्वारा उन्हे विष दे दिए जाने के कारण उनका शरीर नीला पड़ गया था। नीला रंग शिव के हलाहल पीने से भी 

संबंधित है। विष प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया था।



हरा रंग:- नव जीवन, फसल कटाई समेत उत्पादकता का प्रतीक है। हिन्दु धर्म मे प्रकृति की पूजा एवं संरक्षण 

को विशिष्ट स्थान दिया गया है। अतः जीवन प्रदान करने वाले परमात्मा के प्रकृति रूप की उपासना का द्योतक है।


अतः हरा रंग धन धान्य, समृद्धि एवं सम्पन्नता का प्रतीक हैं।

उपसंहार:- इस तरह होली के विभिन्न रंगो का उद्देश्य मानव जीवन को भांति भांति के रंगों से बना हुआ एवं

 खुशहाल बनाना है। होली के रंग से सराबोर होने का एक वैज्ञानिक कारण यह भी है जिस प्रकार अलग अलग रंग

 आपस मे मिलकर एक मिश्रित नया रंग बना देतें है ठीक वैसे ही मानव जीवन के विभिन्न रंग जैसे प्रेम, स्नेह, लगाव

 और निराशा आदि भी मिलकर अनुभव का एक सुन्दर गुलदस्ता बनाते है जिसे जीवन कहा जाता हैं

गुरुवार, 2 मार्च 2023

सिग्नल पर बच्चा:- हम सभी ट्रैफिक सिग्नलों पर कुछ ऐसे सितारों को देखते हैं जो किसी बेबसी के मारे हैं और अपने फलक से बिछड़ गये हैं

हम सभी अक्सर ट्रैफिक सिग्नलों पर नन्हे बच्चों को भीख मांगते देखते हैं। मैने उसी करूणा को पीड़ा को अपनी हिन्दी कविता के माध्यम से उकेरने का एक प्रयास किया है।
यह बच्चे अवश्य किसी की आंखो के तारे रहे होंगे किसी मिन्नत से इस धरती पर लाये गये होंगे यदि हम इनसे इज्जत और प्यार से पेश आयें तो इनके दुखभरे जीवन मे एक हलके ठंडी हवा के झोंके को लाने का अह्सास तो हम करा ही सकते हैं।


कल लाल बत्ती पर
खड़ा एक बच्चा
फटे चीथड़े से
तार तार कपड़े।।१

अनधुला जिस्म
ऐसा बेहाल
जख्म के निशां
निशान है लाल।।२

उलझे थे केश
केशों मे मिट्टी
मिट्टी संग रेत
चला आया देख।।३

भूख सनी आंखे
आंखो मे चाह
चाह मे इक रोटी
रोटी; हां हां रोटी।।४

वही जो खाते कम
फेंकते है ज्यादा
भरते है प्लेट
न होने पर इरादा।।५

यही मै विचारता
उसे एकटक निहारता
पल भर को खो गया
हजार आंसू रो गया।।६

रूठने की उम्र मे
ये मांग क्युं रहा है
जिस मां ने जना इसे
बाप इसका कहा है।।७

उसे थी क्या परवाह
पर पीड़ा अथाह
बस रोटी आ जा
कहीं से भी आ जा।।८

पचास का इक नोट
मिटाये इसकी चोट
उसकी तरफ बढ़ाया
वो खिलखिलाया
धूल वाले चेहरे पर
मुझे प्यार बड़ा आया।।९

यही हंसी तो है आम
न इसका कोई दाम
शायद कहता थैंक्स
पर कह नही पाया।।१०

पर वाह रे रूपैया तूने
इक रोते को हंसाया
इक चिंतित को जगाया
मै भी संग था मुस्कुराया।।११


इस हिन्दी कविता पर आपके महत्वपूर्ण विचार सादर आमंत्रित हैं 🙏✍️
आपका
शशिवेन्द्र 'शशि'

बुधवार, 1 मार्च 2023

गृहस्थ योद्धा:- आपके आस पास ऐसे योद्धा विद्यमान हैं

गृहस्थ के गुण और वीरता:- मित्रों आप सभी जानते हैं एक संन्यासी या तपस्वी के जीवन मे साधना की कठिनता तो रहती है परंतु एक गृहस्थ भी नित्य और नियमित तौर पर चुनौतियों का सामना करता रहता है। जो अपनी जिम्मेदारियों एवं दायित्वों मे बंधा रहता है। मित्रों प्रत्येक गृहस्थ एक योद्धा है। उसकी वीरता और बुद्धिमत्ता का अभिनंदन।

उसकी  वीरता को इस हिन्दी कविता के माध्यम से नमन 


जीवन के मरूधर कानन मे संग्राम लिखता है
दुर्धर काल के मस्तक पर विश्राम लिखता है
गहरी तूफानी लहरों को थामे थामे सीखता है
रवि की छाया मे ही उसे सदा आराम दीखता है।।01

(अर्थ:- मरूधर= रेगिस्तान, कानन= जंगल, उपवन, संग्राम= युद्ध, दुर्धर= कठिन, रवि= सूर्य)



घोर मेघ तपती ज्वाला भूचाल बने विकराल बढ़े
मंद हवा शीतल समीर या तीव्र गति तूफान चढ़े
थककर आशाओं के अनगिन दीप हों शांत पड़े
विष बुझे शत्रुओं के दल करें प्रतीक्षा खड़े खड़े।।02

(अर्थ:- घोर=प्रचंड, भूचाल= धरती का डोलना, मंद= धीमी, अनगिन= बिना गिने हुए, समीर= हवा)



उफनाती नदी पीने का साहस नर का निज प्रताप
जग में कुछ भी शेष नही जो हो उसको अप्राप्य
रोक सके पथ उसका ऐसा ना कोई विघ्न पाप
अभीलिप्सित उसके दर्शन को हैं हम और आप।।03

(अर्थ:- उफनाती= बढियाई नदी, साहस= हिम्मत, विघ्न= रूकावट, अभीलिप्सित= इच्छा जाहिर करना, इच्छुक)


अवरूद्ध करे पथ उसका ऐसी अडचन कहां अभी
मेघों से आच्छादित रवि निस्तेज क्या होगा कभी
सांस रोक धरती थामे और वह वेगवान मारूत भी
वीर यहां आ पहुंचा है उसके स्वागत को चलो सभी।।04

(अर्थ:- अवरूद्ध= रूकावट, पथ= रास्ता, अडचन= रूकावट, आच्छादित= ढका हुआ, निस्तेज= यशहीन,  मद्धिम, वेगवान= बहुत तेज, मारूत= हवा)

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अमर शहीद

अमर वीरों की शहादत पर कुछ ऐसे आंसू जो गिरते तो हैं पर उनके गिरने की आवाज सभी को सुनाई नही देती उन अमर शहीदों लिए कविता 💐 💐💐👏

अभी हृदय के चपल सुरों 
की झंकृत झांझड़ी बाकी थे।
अभी तो नवतरू पल्लव 
के अरमान निभाने बाकी थे।
इस दुनिया मे सुख के 
दीप अभी जलाने बाकी थे।
दंपति की आशाओं के
नित कलश सजाने बाकी थे।।



अभी तो नन्हे हाथ पकड़ 
विद्यालय से लाने बाकी थे।
अभी तो बूढ़े हाथों मे सिर 
रख प्यार जताने बाकी थे।
इतने निर्मम न थे तुम जो 
आते ना मेरे बुलाने पर
मातृभूमि का कर्ज अदाकर 
लौट आने के वादे बाकी थे।।
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द्रोण पुस्तक के चतुर्थ सर्ग से

ये धृष्ट जयद्रथ खड़ा हुआ  अपने दोषों से सजा हुआ  थी कुटिल चाल दिखलाई तेरे सुत की मौत करायी । सम्बंधी, नही क्षम्य है ये आगंतुक नह...