गुरुवार, 6 अप्रैल 2023

इक सफ़र:- जिसमे किधर गया हूं मैं

लोग कहते हैं बहुत बदल गया हूं मैं

शिकायत है ये क्यूं संभल गया हूं मैं।।०१


सवाल आंखों मे रख तुम्हे उठाते हैं लोग

शिकायत ये कि अब बदल गया हूं मै।।०२


मुस्ससलल कोशिशें की थी मुझे गिराने की

मेरे अपने में उन शामिल बेगाने ने।०३


उनका जोर नही रहता मेरी हिम्मत पे शायद

कोशिशें बेजा ही की थी जमाने ने।।०४


मुद्दतों से हारता ही रहा जी भरकर

आलम अब है कि निखर गया हूं मैं।।०५


मुझे तराशा हैं वक्त्त ने अपने थपेड़ों से

आफत के गले भी पड़कर संवर गया हूं मैं।।०६


मेरे मजीद़ का इततेहाद ही कुछ ऐसा

जहां रखा रखा ही बिखर गया हूं मैं।।०७


सिमटना शौक न रहा कभी भी अपना

मिली खाट कहीं भी तो पसर गया हूं मैं।।०८


मुझे ख्याल नही रहता अपने का बेगाने का

जबसे मयखाने से होकर गुजर गया हूं मैं।।०९


मेरे औलख मुझे माफ़ करोगे क्या 

दे देकर दुआएं अब ज़फ़र हुआ हूं मै।।१०


कुढ़ते बैठे रहो तुम दरिया-ए-इश्क के किनारे

मुझे देखो डूबते डूबते भी तर गया हूं मैं।।११


दिल अपना उनकी हथेली पे रख डाला था

उन ख्वाहिशों की कैंची से कतर गया हू मैं।१२


बयार बदली तो अपनी दास्तां सुनायेंगे

किस तरह आंसुओ से तरबतर हुआ हूं मै।१३


मेरी दुश्वारियों के अलह़दा किस्से अनोखे हैं

कहते कहते ही उनमे बसर गया हूं मैं।।१४


किस्मत से मेरा खेल चूहे बिल्ली के जैसा है

मिलने की उम्मीद में रातें कईं जगा हूं मै।।१५


अब तो कालेज के बहाने नही मिलते है वों

मिलने गली की बजाय उनके घर गया हूं मैं।।१६


राह जोहती आंखो का मुझपे मुकरना भी देखा

तो इक़पल को उन पर बिफर गया हूं मैं।।१७


ढलती उम्र की यें झुर्रियां तो मुंह चिढ़ाने लगीं

अब तक मौजूं में था अब ठहर गया हूं मैं।।१८


पीछे छोड़ आया मै कूकती कोयल वाला गांव

हौंकते सायरन वाले अजब़ शहर गया हूं मैं।।१९


शहर हर किसी की पसंद नही होता कुछ लोग अपनी एक सजीली दुनिया पीछे छोड़कर आते हैं।।

Good Friday ke is awasar par meri #hindipoetry jo ki m #hindimedium se ek #hindiwriter hu aur apne  #hindithoughts ko khoobsurat tareeke se #hindithought #hindishayri aur #hindi_poetry ke madhyam se likhta aur aap tak pahunchata rahta hu.

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