मेरा रिश्ता है अब भी मेरे घर से गांव से
मै आज भी अपने गांव का बाशिंदा हूं।
चाह कर भी वहां को लौट नही सकता
अपनी जरूरतों की कैद का इक परिन्दा हूं।
लौट जाऊंगा जवानी काट कर घर अपने
अभी कैसे लौटूं अभी तो खुश हूं जिन्दा हूं।
वहीं उदास खड़ी है दरवाजे पर बुलेट मेरी
ख्वाहिश थी जिसे इक लाल बत्ती पाने का।
मै उसे छोड़ आया हूं उपर वाले के भरोसे
तु ही सुन ताने मेरे हिस्से के सारे जमाने का।
थकी मां नही पूछती कुछ भी अर्से पे घर जाता हूं
खुश होता है भाई मेरा बरसों बाद मिल जाने पर।
रास्ता दे देती हैं दीवारें कुछ शिकायतों के बाद
पर घूरती है बुलेट अपने परिचित अंदाज में।
नाजवाब होता हूं मैं उसके हर सवाल पर
बेचारगी ही रही है मेरे कल पर मेरे आज में।
छिपा लेता हूं मुंह अपना मै बेशर्मी से ऐसे
कुछ तो मैने इस शहर मे सीखा है काम का।
Yado ki #shayaries me #hindi aur #urdu ki #shayari jo purani yaado ki #mohabbat ko fir se jaga de
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निम्न मध्यमवर्गीय पारंपरिक परिवारों से निकले हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हेतु बड़े शहरों का रूख किये नौजवान अपने साथ बहुत से लोगों के सपनों की पोटली लेकर शहर मे आते हैं और सफलता सबके हिस्से तो नही आती कुछ जो असफ़ल रह जाते हैं उनमें से किसी की स्मृति शायद ऐसी रही हो..........................
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