मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

शिखंडी को संदेश :-

शिखंडी महाभारत का एक ऐसा योद्धा था जिसने राजा द्रुपद के घर जन्म लिया था। वह अग्निजन्मा बहन द्रौपदी और धृष्टद्युम्न का अग्रज था।

परिचय:- एक कथा के अनुसार वह काशी की राजकुमारी अम्बा थी जिसने गंगापुत्र भीष्म से अपनेअपमान का बदला लेने के लिए जन्म लिया था। यही कारण था कि भीष्म उसे कभी पुरूष नही मानते थे
 
अपने संकल्प की वीर पुरूष कभी नारी के समक्ष हथियार नही उठाते इसके अनुसार भीष्म ने शिखंडी के सामने भी हथियार रख दिए और फिर उसी रथ पर सवार अर्जुन ने भीष्म की छाती बाणों से छलनी कर दिया था।

          भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान था इस वरदान का धनी व्यक्ति किसी भी अवस्था मे सिर्फ                   अपनी इच्छानुसार ही मर सकता है।

आधुनिक युग मे छिपे हुए शिखंडी जो कायरता का प्रतीक है अपने प्रतिशोध के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं यही से यह कविता प्रारंभ होती है



अतुलित योद्धा, संकल्पित योगी ही क्षितिज को साधेगा।

ध्रुव सा अटल रहे सदा ही उसे विपदा में क्या बाधेगा।

आर्यावर्त का रूद्र आठवां बस अपनों से ही हारेगा।

छोड़ शिखंडी अहं को अपने तू क्या भीष्म को मारेगा।।01



कुरुवंश का उत्तम माणिक जिससे महाभारत होगा

वंशीधर परशुधर हलधर हर कोई उससे हारा होगा

जीतेगा जो इन सबसे वो अंतिम अपनो से ही हारेगा

छोड़ शिखंडी अहं को अपने तू क्या भीष्म को मारेगा।।02


युद्धक्षेत्र मे युद्धघोष से वीरों का अतुल बल जागेगा

उसके सन्मुख कौरव पांडव कोई  याद ना आयेगा

एक अमर सुरसरि का बेटा मर स्वीकारा जायेगा

छोड़ शिखंडी अहं को अपने तू क्या भीष्म को मारेगा।।03

शिखंडी को संदेश :- भीष्म अजेय है अमर है उन्हे हराने का प्रयास निरर्थक है


भीष्म शब्द है एक विचार जो शपथ बनाया जाता है

जीवन मे सांसो की समिधा से उसे निभाया जाता है

विधि के वश मे नही रहा अब ऐसा वीर न आयेगा

छोड़ शिखंडी अहं को अपने तू क्या भीष्म को मारेगा।।04




निज पौरूष से जय को जो क्षण भर मे जीत लिया

आदेशित कर कालचक्र की दुर्धरता को विवश किया

ऐसा परम तपस्वी साधक जीवन सहज बितायेगा

छोड़ शिखंडी अहं को अपने तू क्या भीष्म को मारेगा।।05


जो अनंत बाजू मे बांधे कालगति से सहज चले

उसकी अनथक यात्रा मे धरती से अंबर हिले मिले

धरती के जीवित ध्रुव को कहां टाल तू पायेगा

छोड़ शिखंडी अहं को अपने तू क्या भीष्म को मारेगा।।06


उपसंहार:- यह एक विचारणीय प्रश्न है कि क्या कोई एक शिखंडी जो स्वयं रीढ़विहीन है और अपनी कायरता और छदमता से किसी वीर और पुरूषार्थी को मार सकता है?

क्या उसे समाप्त कर सकता है?

नही बिल्कुल नही!!!

भौतिक शरीर तो नश्वर है परंतु कीर्ति अमर रहती है और समय के समानान्तर चलती रहती है।


https://en.wikipedia.org/wiki/Shikhandi#:~:text=Shikhandi%2C%20whose%20natal%20female%20identity,causing%20the%20death%20of%20Bhishma. 


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प्रश्न 1:- शिखंडी का पूर्व जन्म मे क्या नाम था

उत्तर:-


प्रश्न 2:- शिखंडी के पूर्व जन्म मे प्रेमी का क्या नाम था और वह किस राज्य के राजा थे ?

उत्तर:- 


प्रश्न 3:- भीष्म का पूर्ववर्ती नाम क्या था और उनका नाम भीष्म क्यों पड़ा?

उत्तर:- 


प्रश्न 4:-भीष्म के पिता का क्या नाम था?

उत्तर:-


*आपके प्रश्न भी आमंत्रित हैं

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