हे पूज्य धरा भारतभूमि प्रीति पूर्ण अभिनंदन है
निज माटी का अभिमान हमे ये माथे का चंदन है
किरदार बदलना पडता निज कर्तव्य निभाने को
सौ जीवन भी कम है इसका मोल चुकाने को।
रंचक नहीं डिगेंगे मां सर्वस्व समर्पित करने मे
यशो:लभस्व रहेगा ही जीवन जीने या मरने में
जीवन तो क्षणभंगुर है उसको अमर करेंगे हम
बलिदानी परिपाटी को उर से आज वरेंगे हम।
तेरी श्यामल काया मे अब इंच नही घटने देंगे
पुर्जा पुर्जा कट जायेंगे पर देश नहीं बंटने देंगे
बंटवारे के लंगूरों को ऐसा सबक सिखायेंगे
पीडादायक सबकों से वे चिल्लायेंगे थर्रायेंगे।
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