माता पिता वैसे तो सभीं बच्चो से बराबर प्रीति रखते हैं परन्तु पिता की निकटता पुत्री से अधिक होती है शायद पिता पुत्र दो पुरूष आपस मे ज्यादा निकट होने के कारण बाद मे होने वाले विछोह से डरते हों। अंबिका सेठ नगर के धनाढ्य एवं प्रभावी लोगों मे से एक थे धंधा व्यापार दूर दूर तक फैला था। करीबन सौ से ज्यादा मातहत थे पर सेठ बड़े धर्मात्मा थे उनका मानना था जहां धर्म है वहीं लक्ष्मी हैं। सेठ के दो बच्चों मे बेटी संगीता बड़ी थी बेटा छोटा था। सेठ जब शाम को आते तो खाने से पहले दिन की सम विषम परिस्थितियों की चर्चा करते पूरा परिवार उन्हें गौर से सुनता। सेठ का मानना था इन्हें दुनियादारी से परिचित कराने का अनूठा तरीका था बेटा थोड़ा भीरू प्रवृत्ति का था घबरा जाता था बिटिया हिम्मत से सुनती रहती थी।
बेटी का रिश्ता सेठ ने दूर के एक रिश्तेदार के बेटे से कर दिया लड़का यूनिवर्सिटी मे अध्यापक था देखने सुनने मे बड़ा ही शालीन था।अजय ने चार्टर्ड एकाउंटेंट की परीक्षा उत्तीर्ण कर नौकरी के लिए अमेरिका चला गया।
सेठ सेठानी घर पर अकेले रह गये। दिन भर कुछ काम ही नही पुरानी कोठी मे खोजो तो पचहत्तर काम पर नौकर चाकर करते रहते। दिन यूं ही बीतते जा रहे थे।
अजय की शादी के लिए भी रिश्ते आ रहे थे।सेठ ने घर पर विचार विमर्श किया और लड़की देखने का दिन तय हो गया।
इकलौती लड़की हैं माता घर संभालती थी जबकि पिता शहर में प्रसिद्ध चिकित्सक थे। सेठ जी की तरफ से सब कुछ ठीक चल रहा था पर एक भय सताये जा रहा था शादी के बाद अजय अमेरिका चला जायेगा। वृद्ध दम्पत्ति को बच्चों का यहां होना बड़ा अच्छा लग रहा था वे चाहते थे अजय अब यहीं रह जाये। इसी उधेड़बुन मे लगे हुए थे उधर तैयारियां जोरों पर थीं। सब जल्दी जल्दी तैयार होकर होटल मे पहुंच गये। बच्चे सबसे ज्यादा खुश थे खूब दौड़ लगा रहे थे। बात चीत में परिचय लड़के पक्ष से शुरू हुआ मामा मामी चाचा फूफा सभी का बारी-बारी से। अचानक रागिनी के पिता ने कहा सेठ जी बड़े भाग्यशाली हैं आप आपका बेटा अमेरिका मे रहता हैं। सेठ जी अपना गम छिपाये मुस्कुराकर सिर हिलाकर सहमति दी।
अब जब सहमति आगे बढ़ी तो लड़के लड़की को आपस मे बात करने का अवसर दिया गया। दोनो को अलग थोड़ी दूरी पर लाॅन मे बैठने की व्यवस्था थी।
अजय ने चर्चा शुरू की और रागिनी सुनती रही अजय के पास बहुत कुछ था बतियाने को जवान हृदय तेज धड़क कर सारे भाव उलीच देना चाहता था पर मर्यादा का ख्याल भी था। नारी जिस सफाई से अपने मनोभाव छिपा सकती है वैसे ही दूसरे के मन का पता भी लगा लेती है रागिनी को अजय की बातें पूरी ईमानदार और निष्ठावान लग रहीं थी। रूप रंग भी अच्छा खासा, घर कुल प्रतिष्ठित और संपन्न एक वर के व्यवहार के अतिरिक्त और क्या देखा जाता हैं दोनो एक दूसरे को पसंद थे। दोनो वापस आये अब बड़े बुजुर्ग की बाते सुनने लगे।
बीच बीच मे दोनो एक दूसरे को छिपकर देख लेते जब देखते नजरे मिल जातीं तो हल्के मुस्कुरा देते। अचानक अजय के बहनोई ने छेड़ते हुए पूछा
"हां भई शादी के कितने दिन बाद वापस जाना हैं।
अब नही जाना है जीजा जी, अजय बोला
मैने और रागिनी ने तय किया है की शादी के बाद हम यहीं रहेगे आप लोगों के साथ अपनों के बीच।
सेठ जी के कानों मे यह शब्द अमृत सरीखे लगे इधर डाक्टर साहब कुछ लेन देन की बात कर रहे थे लाला जी ने हाथ जोड लिए
अरे यार डाक्टर साब आप हमे ऐसी सुलक्षिणी बहू दे रहे हों वह मेरे बेटे को वापस ले आयी, यह हमारी सबसे बड़ी लक्ष्मी हैं।
डाक्टर ने उठ कर लाला के दोनो हाथ अपने हाथों मे ले लिए वहां उपस्थित सभी भाव विभोर हो गये।
#Ssps96
:-शशिवेन्द्र "शशि"
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