शनिवार, 12 नवंबर 2022

सीख

अखिलेश के पिता रामबदन मंझोले किसान थे आराम से साल भर का खाना पीना और शेष खर्चे पूरे हो जाते थे । आस पास के 5-10 गांव समाज मे प्रतिष्ठा भी थी।


अखिलेश 12वीं की पढाई पूरी कर चुका था नौकरी हेतु समय की मांग थी की एक प्रतिष्ठित व्यवसायिक कोर्स किया जाये पर कोर्स की मोटी फीस और हास्टल का खर्च कुल मिलाकर 10 लाख पार कर जायेगा। अखिलेश ने परिवार के लोगों को समझाने के लिए कोर्स के फायदे मे खूब कसीदे पढ़े इतना तो कॉलेज की सुन्दर काउंसलर ने भी नही किया था। पिता थोड़ी हीला हवाली के बाद तैयार हो गये पर समझाया  "बेटा रहने मे रहो बहने मे ना बहो"  पर अखिलेश को महंगे कॉलेज से पढाई पूरी करने के बाद कम सैलरी वाली नौकरी मिली थी। शायद मंदी की वजह से, कोई क्या करे जब पूरे विश्व मे ही मंदी हो गई थी।




दूर अहमदाबाद मे नौकरी लगी घर आना जाना कम हो पाता था धीरे धीरे 5 वर्ष गुजर गये शादी हो गई बाल बच्चे भी हो गये। माता पिता भी एक एक कर स्वर्ग सिधार गये थे। गत पांच वर्षों मे अखिलेश का प्रोमोशन तो हुआ लेकन वेतन मे कुछ खास वृद्धि नही हुई। दोनो बच्चो की पढ़ाई और परिवार का खर्च सब मिलाकर हाथ मे कुछ भी न बचता था। एक दिन एक सहकर्मी से चर्चा के दौरान शेयर मार्केट का पता चला हालांकि इस बारे मे थोड़ी बहुत जानकारी पहले से थी पर उसने जैसा बताया वो अलग ही था जैसे वो सैलरी को हाथ भी नही लगाता हर साल विदेश घूमने जाता है। बडा आकर्षक प्रस्ताव है अखिलेश ने कुछ दिन शेयरों का अध्ययन किया फिर लगा दिया दांव। पहले दिन पट्ठे ने 3000 का मुनाफा बनाया। दलाल का कमीशन काट कर भी अच्छा फायदा बन गया और करना ही क्या हैं बस कुछ मिनटों का काम, उसने खुद को समझाया। बस फिर क्या खेल शुरू नित्य प्रति थोड़े बहुत लाभ हानि से घबराना नही है यह तो रोमांच है इस खेल का। बरस बीतते गये अखिलेश का तजुर्बा और लगन उसे आगे बढाती रही। एक मित्र की पार्टी मे जिसने हाल ही मे एक भव्य बंगला खरीदा था।नौकरो के लिए भी ऐसी सुविधाएं जो अखिलेश के अपार्टमेंट्स मे न थीं। 



असंतुष्टि बड़ी खतरनाक हो जाती है जब वह स्व धिक्कार का रूप लेती है व्यक्ति को अंतिम सीमा का उल्लंघन नही करना चाहिए। पार्टी से लौटते हुए उस पर एक ही धुन सवार थी पैसा। कहां से आये पैसा, पूरी रात इस उधेड़बुन मे बीती। सुबह आफिस के रास्ते मे मनी मंत्र का एक वीडियो में वक्ता कह रहा था "यदि आपने अपने पैसे को कम रिटर्न वाली जगह पर फंसा रखा है तो आपको आपकीआने वाली पीढियां माफ नही करेंगी"

य। बात उसके हृदय मे बस गई बाकी के शब्द नही सुने हां खेत और घर की जमीन का क्या ही रिटर्न है। गांव के एक चाचा अच्छी कीमत देने के लिए कह भी रहे थे। आज ब्रोकर की खबर थी देश की एक बहुप्रतिष्ठित कंपनी  "आई पी ओ" लाने वाली थी। बस चाचा को फोन किया और आनन फानन मे सौदा हो गया। जल्दी जल्दी मे जो घाटा हुआ वो शेयर पूरा कर देंगे।

कंपनी का खूब नाम था घाटे मे जाने का सवाल ही नही यही मौका है अभी नही तो कभी नही यही सोच कर अखिलेश ने पूरी जमा रकम और कुछ उधार के पैसे भी लगा दिए। दाम खूब चढे और धीरे धीरे चढते गये। रोज का बढ़ता पैसा आंखो को खूब सुख देता था। पर विश्व से आने वाली खबरें थोड़े-बहुत परेशान करती थीं कोई संक्रामक बीमारी से विश्व मे लाक डाउन लग रहा है। अब इस महामारी का डर भारत मे भी बढ़ गया। यहां भी लाक डाऊन लग गया जो धीरे धीरे बढ़ाकर 3माह कर दिया गया। धंधा आमदनी सब चौपट विदेशी निवेशको के पैसा निकासी से शेयर मार्केट धड़ाम। शायद बंदी के बाद दशा बदले लेकिन कंपनी नये आयाम के लिए इतने बड़े घाटे को बर्दाश्त नही कर पायी और यह नया आयाम बंद करने का निर्णय ले लिया। अखिलेश अपना बहुत कुछ गंवा चुके थे काश पिता की "सीख" मान ली होती


#Ssps96

:-शशिवेन्द्र "शशि"

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