सोमवार, 7 नवंबर 2022

मानववाद

असी पंजाबी ते तुस्सी कौन? 

कपूर साब के लिए यह पसंदीदा डायलॉग था। उनका पूरा नाम जसवंत कपूर था। अमृतसर के एक गाँव से आये थे पिता अंग्रेजो की सेना मे थे तो घर का अनुशासन कड़ा रहा। वहीं से शिक्षा पूरी करने के बाद एक सरकारी महकमें मे ही पोस्टिंग हो गयी पर ट्रांस्फर सरकारी नौकरी मे होने वाला एक भयानक हादसा हैं। दुर्भाग्य से यही इनके साथ भी हुआ और वे शीघ्र  ही दिल्ली भेज दिए गये। दिल्ली के सरस्वती विहार मे एक अपार्टमेंट् खरीद कर सैटल होना पड़ा। 

जब से होश संभाला था एक ही ख्वाहिश थी आस्ट्रेलिया जाने की हालांकि खुद तो कभी अवसर नही मिला बस यह सपना अपनी इकलौती बेटी गोल्डी पर लाद दिया। सारी पुस्तैनी जायदाद और जीवनभर की कमाई जोड़कर बेटी को पढ़ने भेज दिया। 

सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद अपनी रेजीडेंशियल सोसाइटी के अध्यक्ष चुन लिए गये। अब सोसाइटीज के चुनाव ठहरे पक्षपात से भरे हुए और इनमे हर तरह के दांव तो चले ही जाते हैं, मसलन क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद। कपूर साब भी इससे अछूते नही रहे बल्कि उनकी मान्यता और प्रबल हो गयी थी कि जैसे भारत के पश्चिमी सीमा की रक्षा हेतु इस प्रदेश ने सबसे ज्यादा बलिदान दिए हैं अतः पूरे भारत को यहां के निवासियों को सर्वोच्चता का सम्मान एक टैक्स की भांति देना चाहिए। समय के साथ उनका यह क्षेत्रीय अहंकार बढ़ता गया और अब तो ऐसे पारखी हो चले थे कि सामने वाले के बात करने के लहजे से झट उसका जन्म और पालन पोषण का स्थान तक बता देते थे।

इस बार भी सोसाइटीज के चुनाव घोषित थे पर मुसीबत थी प्रतिद्वंदी राम प्रकाश जो की उत्तर प्रदेश से था। उसने बोली भाषा और क्षेत्रीय समानता दिखा कर सारे मध्य और पूरब भारत से आये सोसाइटी रेजिडेंट्स को अपनी तरफ मिला रखा हैं। पाजी अलग ही तरीके से नमस्कार करता है जाने किस ग्रह की भाषा मे दांत निपोरकर बात करता हैं।

कपूर साब को चुनाव से पहले ही नतीजों का पता था लेकिन हथियार क्यूं डाला जायें जो होगा देखा जायेगा, अंत तक लडेंगे चुनाव मे फैसला तो वोट ही करते हैं



दोपहर तक ही मतदान के नतीजे आ गये कपूर साब चुनाव हार गये। पिछले कई वर्षों से "आर डब्ल्यू ए" के अध्यक्ष रहे अब रिटायर भी हो चुके थे खालीपन उस कांटे की तरह होता है जो अंदर ही अंदर चुभता रहता है अब पूरा दिन घर मे ही बीतने लगा कुछ दिन तक तो ठीक चला लेकिन धीरे धीरे अब कुढ होने लगी थी बात बात पर गुस्सा हो जाते। कोई कामवाली बाई हफ्ते भर से ज्यादा ना टिकती या तो छोड़ देती या भगा देते थे।

गोल्डी को पढाई पूरी करने के बाद नौकरी मिल गई थी और वो अगले महीने आ रही हैं खबर यहां तक तो ठीक थी लेकिन उसने शादी कर ली हैं।

कब और किससे ? कपूर साब ने चौंक कर पूछा

लड़का साफ्टवेयर इंजीनियर है, बिहार से है उसका नाम अमित झा।



अंतिम शब्दों ने जैसे कपूर साब पर बिजली गिरा दी हो फोन कट कर दिया था, समझ नही आ रहा था
 क्या करेंगे कैसे, किस किस को समझायेंगे

नाती नातिन कैसे दिखेंगे

क्या बोलेंगे कैसे बोलेंगे

हमारी बेटी तो गोरी सुन्दर है वो जरूर सांवला होगा कैसे अपने मे  मिलायेंगे।

साथ के कितने लोगो पर क्या क्या कटाक्ष नही किया था शर्मा की बेटी ने जब शादी की थी तो बहाने से उनके घर का पानी तक छोड़ दिया था।

इसी उधेड़बुन मे लगे रहे पूरी रात नींद नही आयी थोड़ी देर के लिए आयी तब तक सुबह हो चली थीं बाल्कनी मे आकर खड़े हुए सामने पार्क मे रामप्रकाश और कुछ लोग योग कर रहे थे।

अचानक रामप्रकाश से नजर मिली उसने अभिवादन किया कपूर साब ने भी हाथ उठा कर उत्तर दिया। उसने नीचे आने का इशारा किया झट चप्पल पहनी नीचे चले गये बिना किसी अंतर्विरोध के।

वहां और लोग भी थे उनके साथ थोड़ी देर तक बाते हुई लौटने तक कपूर साब के मन के सारे वाद मिट चुके थे सिर्फ एक बच रहा था "मानववाद"

#Ssps96

शशिवेन्द्र "शशि"

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