शनिवार, 23 अगस्त 2025

महादेवी वर्मा को शब्दसुमन अर्पण !

महादेवी वर्मा को शब्दसुमन अर्पण!
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महादेवी वर्मा उस कलम सिद्ध साहित्यकार का नाम है जो बर्बरीक की भांति अपने एक ही रचना रूपी प्रहार से समकालीन साहित्य के तमाम दिग्गज साहित्यकारों का सादर अभिवादन करती और समान हैसियत के रचनाकारों के कंधे पर स्नेहपूर्ण भ्रातृसम हस्त रखती प्रतीत होती हैं।
उनकी रचना 'संस्मरण' दद्दा राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त से आरंभ होकर निराला, प्रेमचंद और सुंघनी साहू के तंग बनारस की गलियों से गुजरती पंत और सुभद्रा से सुखद चर्चा करती गुरूदेव रवीन्द्र के ऋषित्व को प्रणाम करती है, आगे बढ़कर राष्ट्रपिता बापू के स्मरण मे बाबू राजेंद्र प्रसाद की सादगी को श्रद्धा से स्पर्श करती पंडित नेहरू और राजर्षि टंडन तक अपनी स्मृतियों की गुल्लक का संचय दिखाती पूर्ण होती है।
गार्गी और अपाला जैसे भारतीय नारियों की दर्शन और साहित्य में सिद्धा परंपरा को आगे बढाती ऐसी विदुषी मनीषा की भावपूर्ण लेखनी को प्रणाम🙏

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