उन्नत सनातन धर्म के साहित्य को पढ़ने एवं आत्मसात करने हेतु उच्च अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार गणितीय व्यवस्था मे एक बिन्दु पर अधिकतम 360° का कोण बनाया जा सकता है।
उन्नत सनातन धर्म के साहित्य को पढ़ने एवं आत्मसात करने हेतु उच्च अंतर्दृष्टि की आवश्यकता होती है। जिस प्रकार गणितीय व्यवस्था मे एक बिन्दु पर अधिकतम 360° का कोण बनाया जा सकता है।
एक जीव की पूर्ण विकसित बुद्धि सापेक्ष तौर पर ब्राह्मं निर्मित वस्तुओं को ऐसे देखती है जिस प्रकार किसी बाहरी बिन्दु से उस बिन्दु के वृत्त की परिधि पर प्रत्येक बिन्दु को देखा जा सकता है यही से प्रारंभ होता है "अहं ब्रह्मास्मि" यात्रा का मूल मंत्र
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