शनिवार, 2 जुलाई 2022

बुद्धांजलि प्रथम भाग

बुद्ध तत्व हैं

जीवत्व है

सत्व हैं
ब्राह्मंत्व हैं।।१


बुद्ध आधुनिकता का आस हैं
अतीत का विश्वास हैं
कलिकाग्नि मे कोमल घास हैं
वह एशिया का प्रकाश हैं।।२

बुद्ध-जीवन एक कुरुक्षेत्र हैं
जो संघर्षों में विचित्र हैं
अभिजनों का प्रियछत्र हैं
उत्कंठाओं का एकत्र हैं।।३

बुद्ध निर्वेद हैं
आह्लाद हैं
अभेद्य हैं
आधुनिक चतुर्वेद हैं।।४

बुद्ध अनंत हैं
दिगंत हैं
संभ्रांत हैं
बस शांत हैं।।५

बुद्ध अयन हैं
उन्नयन हैं
चिर शयन हैं
खूब मगन हैं।।६

बुद्ध सहज है
उपलब्ध हैं
मर्मज्ञ हैं
और मैत्रेय हैं।।७

बुद्ध धर्म हैं
सतकर्म हैं
मर्म हैं
अनवरत् कर्म हैं।।८

बुद्ध ज्ञान हैं
सम्मान हैं
प्रतिमान हैं
स्वयं एक अनुष्ठान हैं।।९

बुद्ध आस्था है
प्रत्याशा हैं
अभिलाषा हैं
और जिज्ञासा हैं ।।१०

बुद्ध कण्ठ हैं और गीत हैं
प्रश्न और परिणाम हैं
वह पूर्ण हैं प्रमाण भी
प्रारंभ हैं परिमाण भी।।११

बुद्ध निजता हैं
शुचिता हैं
संहिता हैं
और गौरवशाली गीता हैं।।१२

बुद्ध एक हैं
नेक हैं
अनेक हैं
और प्रत्येक हैं।।१३

बुद्ध आर्य हैं
अपरिहार्य हैं
सद्कार्य हैं
सबको स्वीकार्य हैं।।१४

बुद्ध चिन्हित हैं
पूर्ण परिचित हैं
सदा वंदित हैं
और वर्णित हैं।।१५

बुद्ध हर्ष हैं
उत्कर्ष हैं
विमर्श हैं
स्नेह का चरमोत्कर्ष हैं।।१६

बुद्ध सख्त हैं
ना आसक्त हैं
न परित्यक्त हैं
बस मुक्त हैं।।१७

बुद्ध भिज्ञ है
सर्वज्ञ हैं
मर्मज्ञ हैं
प्रेरणा का यज्ञ हैं।।१८

बुद्ध अपरिमेय हैं
प्रत्येय हैं
विनिमेय हैं
नितांत ज्ञेय हैं।।१९

बुद्ध सहनीय हैं
करणीय हैं
विचारणीय हैं
सर्वदा अनुकरणीय हैं ।।२०

वह उल्लास है
सुखद आभास हैं
कष्ट पर परिहास हैं
एक प्यारा अहसास हैं।।२१

मोक्ष का आह्वान हैं
बड़े ही महान हैं
धरा पर भगवान हैं।।२२

बुद्ध गहन संत है
मुद्रा से महंत हैं
आज भी जीवंत हैं
उनकी महिमा अनंत हैं।।२३

न ही विषाद हैं
न ही प्रमाद हैं
बड़े निर्विवाद हैं
यही आह्लाद हैं।।२४

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